जब मिले दोनों
थे एक-दूसरे से अनजान,
नहीं पता था होगी
एक वक़्त सच्ची उड़ान।
वक़्त गया चलता
हुई दोनों की पहचान,
नहीं पता था होगी
एक वक़्त सच्ची उड़ान।
समर्पण के ईंट से
बना दोस्ती का मकान,
आया ऐसा वक़्त
शुरू हुई सच्ची उड़ान।
अटूट बनीं दोस्ती
है शाश्वत प्रमाण,
जारी रहेगी आगे
यह सच्ची उड़ान।
सचिन कुमार सिंह - छपरा (बिहार)