जैसे ही रब को मनाना आ गया - ग़ज़ल - अंदाज़ अमरोहवी

अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती: 2122  2122  212

जैसे ही रब को मनाना आ गया,
मेरे क़दमों में ज़माना आ गया।

जब मुझे माँ की दुआएँ मिल गई,
हर मुसीबत को हराना आ गया।

अज़मते झोली में मेरी आ गई,
जब मुझे ख़ुद को झुकाना आ गया।

वो भी अब चेहरा मेरा पढ़ने लगा,
प्यार उस को भी निभाना आ गया।

पूछते हैं अब वो सब से ख़ैरियत,
क्या इलेक्शन का ज़माना आ गया।

ज़ख़्म फूलों तक से भी मिलने लगे,
ऐ ख़ुदा कैसा ज़माना आ गया।

अंदाज़ अमरोहवी - अमरोहा (उत्तर प्रदेश)

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