अंदाज़ अमरोहवी - अमरोहा (उत्तर प्रदेश)
जैसे ही रब को मनाना आ गया - ग़ज़ल - अंदाज़ अमरोहवी
शुक्रवार, अगस्त 12, 2022
अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती: 2122 2122 212
जैसे ही रब को मनाना आ गया,
मेरे क़दमों में ज़माना आ गया।
जब मुझे माँ की दुआएँ मिल गई,
हर मुसीबत को हराना आ गया।
अज़मते झोली में मेरी आ गई,
जब मुझे ख़ुद को झुकाना आ गया।
वो भी अब चेहरा मेरा पढ़ने लगा,
प्यार उस को भी निभाना आ गया।
पूछते हैं अब वो सब से ख़ैरियत,
क्या इलेक्शन का ज़माना आ गया।
ज़ख़्म फूलों तक से भी मिलने लगे,
ऐ ख़ुदा कैसा ज़माना आ गया।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर