अवनीत कौर 'दीपाली' - गुवाहाटी (असम)
गिरा - कविता - अवनीत कौर 'दीपाली'
रविवार, अप्रैल 24, 2022
किसी की सोच
किसी की सीरत
किसी के लफ़्ज़
कड़वाहट से लिपटे है
संभालने वालों ने गिरा दिया
जो दिखावा पकड़ने का करते हैं।
अहसासों में भीगे हुए
कुछ एहसास,
यादों की रस्सी पर सूखे हैं
दुख की घटा, दर्द की आँधी
अक्षि से गिरे दो आँसू
तबाह सैलाब सा करते हैं।
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