एक मुद्दत हो गई दीदार बिन - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता

अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती :  2122 2122 212

एक मुद्दत हो गई दीदार बिन,
दिल कहीं लगता नहीं है यार बिन।

दिल लगाने को सहारा चाहिए,
ज़िंदगी तो बेमज़ा है प्यार बिन।

है मुहब्बत तो उसे ज़ाहिर करों,
है अधुरा प्रेम भी इज़हार बिन।

नींव हो मज़बूत अपने प्यार की,
टिकती दीवारें नहीं आधार बिन।

दिन गुज़रते हैं, बड़ी मुश्किल से अब,
दिल तरसता रह गया दीदार बिन।

नागेंद्र नाथ गुप्ता - मुंबई (महाराष्ट्र)

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