नव शक्ति स्वरूपा - कविता - सोनल ओमर

नौ दिन में नौ रूपों का आवाहन करूँ,
नव शक्ति स्वरूपा का मैं बखान करूँ।
प्रथम शैलपुत्री अपार शक्ति धारिणी, 
परब्रह्म स्वरुप दूसरी ब्रह्मचारिणी।
चन्द्रघंटा तीसरी चन्द्र को धारण करें,
कुष्मांडा चौथी धरा तृताप निवारण करें।
लोक में विख्यात पाँचवी स्कन्दमाता नाम से,
प्रगटी कात्यायनी षष्टी कात्यायन धाम में।
काल का भी नाश करती कालरात्रि सातवीं, 
महागौरी उग्र तप से गौरवर्णा आठवीं।
नवीं देवी सिद्दीदात्री पूर्ण करती कामना, 
नवदुर्गा हैं मातृ शक्ति यह सृष्टि का मानना।

सोनल ओमर - कानपुर (उत्तर प्रदेश)

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