कहते हैं जिसको प्यार इबादत समझ उसे - ग़ज़ल - समीर द्विवेदी नितान्त

अरकान : मफ़ऊलु फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
तक़ती : 221  2121  1221  212

कहते हैं जिसको प्यार इबादत समझ उसे,
मिल जाए प्यार रब की इनायत समझ उसे।

नाकाम ही रहें तेरी कोशिश तमाम तो,
है राय आकिलों की तू क़िस्मत समझ उसे।

अच्छा नहीं लगा मुझे देना तुम्हें जवाब,
जो हँस दिया हूँ मैं तो मुरव्वत समझ उसे।

मत पूँछ उसकी याद सताती है किस क़दर,
हर लम्हा मेरे दिल पे मुसल्लत समझ उसे।

क़ायम है तेरे सर पे अगर माँ का हाथ तो,
ख़ुशक़िस्मती है यार तू जन्नत समझ उसे।

समीर द्विवेदी नितान्त - कन्नौज (उत्तर प्रदेश)

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