हर सम्त इन हर एक पल में शामिल है तू - ग़ज़ल - अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श'

अरकान : मफ़ऊलु फ़ाईलुन फ़अल फ़ाईलुन फ़अल
तक़ती : 221 222 12 222 12

हर सम्त इन हर एक पल में शामिल है तू,
हर गीत मेरी हर ग़ज़ल में शामिल है तू।

है ख़ुश-नुमा ये ज़िंदगी मेरी आजकल,
ये हे कि मेरे आजकल में शामिल है तू।

मैं बे-अदब था बन गया लेकिन बा-अदब,
जब से मेरे तर्ज़-ए-अमल में शामिल है तू।

तेरी तो ना-मौजूदगी में भी दीद है,
हर वक़्त मेरे नैन-तल में शामिल है तू।

कैसे बयाँ मैं कर सकूँ तेरे हुस्न को,
ये इल्म है हुस्न-ए-अज़ल में शामिल है तू।

अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श' - चन्दौली, सीतामढ़ी (बिहार)

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