अभिषेक द्विवेदी 'नीरज' - गोपालगंज (बिहार)
मैं कैसे भूल जाऊँ? - कविता - अभिषेक द्विवेदी 'नीरज'
शनिवार, सितंबर 18, 2021
वो मेरा प्यारा सा गाँव,
वो पेड़ों की ठन्डी छाँव,
वो कलियाँ फूलों की,
मस्तियाँ सावन की झूले की,
मैं कैसे भूल जाऊँ?
वो प्यारी सी डाँट नानी की,
उनकी कहानी राजा रानी की,
वो सीधे-सादे मेरे नाना,
उनका मुझ पर प्यार लुटाना,
मैं कैसे भूल जाऊँ?
वो बचपन की बात,
सुकून की वो रात,
दिन वो फ़ुर्सत की,
साथ दोस्तों की क़ुर्बत की,
मैं कैसे भूल जाऊँ?
वो किताब से भरे बस्ते,
स्कूल की वो ऊबड़-खाबड़ रास्ते,
मन और उमंग की पाँखें,
अल्हड़ सपनों की आँखें,
मैं कैसे भूल जाऊँ?
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