महेंद्र सिंह कटारिया 'विजेता' - गुहाला, सीकर (राजस्थान)
हम हार नहीं सकते - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता'
शुक्रवार, नवंबर 19, 2021
जब तक रगों में
है स्वदेश प्रेम,
नारी में लक्ष्मी
और नर में भगत सिंह रमते।
उम्मीदों में है
हौसलों का जज़्बा,
तब तक
हम हार नहीं सकते।
रखते सदा निश्चयी ख़्याल,
करते ना निषेधात्मक होड़।
राष्ट्रहित में हँसकर
गले लगाते मौत,
आघाती को
प्रतिघात बग़ैर
कभी देते नहीं छोड़।
रखते शुद्ध विचार सदा,
द्वंद्व ना कभी रचते।
जब तक रगों में
है स्वदेश प्रेम...।
निज मेहनत के बल पर,
आज विश्व पटल पर
है चमके।
करते सीने पर वार सदा,
हम पीठ कभी
नहीं तकते।
हो मुल्क का
नाम शिखर पर,
काम सदा ऐसा करते।
जब तक रगों में
है स्वदेश प्रेम.....।
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