धरती पर स्वरूप लिए
वो विष्णु का रूप था।
देवकी का पुत्र
वो नंदलाल सपूत था।
वासुदेव की गोद में
किया जमुना कूच था।
यशोधा मैया लाड़ला वो
माखन चित चोर था।
बलराम थे बड़े केषव
एक किशोर था।
राधा के बिना सिर्फ़
कान्हा एक छोर था।
गोपियों का प्रेम
बाँसुरी पर नाचता मोर था।
गोपियों का प्रेम
बाँसुरी पर नाचता मोर था।
कंस की निद्रा में
हुंकारते काल का जोर था।
दुराचारी मामा अब
नरक के समीप था।
कृष्ण की ही लीला थी
पांडवों का चक्र वीर था।।
अभिजीत कुमार सिंह - चंडीगढ़