कन्हैया पधारों हमारे अंगना - कविता - गणपत लाल उदय

कन्हैया पधारों आप हमारे भी अंगना,
शांति-समृद्धि की दे हमें शुभ कामना।
कही भटक न जाएँ हम ग़लत राह पर,
शरण मे रखना एवं हमको ना ‌भूलना।।

सारे जग के कान्हा तुम हो प्यारे-प्यारे,
दिलों में बसे हो बुड्ढे बच्चें जवान सारे।
तुम्हें सांवरिया गिरधार कहते बनवारी,
किस-किस नाम से तुम्हें जगत पुकारे।।

तुमको पूजते धरती पर सभी नर-नारी,
कब आओगे देवकीनंदन कृष्ण मुरारी।
ये अँखियाँ हो रही जो व्याकुल हमारी,
इस जगत में पाप बढ़ रहा देखो भारी।।

सूना-सूना है वृन्दावन मोहन तेरे बिन,
अब लगता ‌नही है हमारा यहाँ पे मन।
नहीं रहे ग्वाल, गाय और शुद्ध माखन,
आकर सुना दो बाँसुरी की प्यारी धुन।।

गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)

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