बहन - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

बहन छोटी हो या बड़ी
बहन बड़ा आधार होती है,
भाई बहनों और 
पापा मम्मी के मध्य 
सूत्रधार होती है।
भाई बहन का संबल 
और दोस्त, राज़दार होती है।
बहन ही है जो भाई बहन की
ख़ुशियों को आधार देती है,
हर दर्द में बहन ही तो
मरहम बनती है।
एक बहन के बिना
जीवन में खालीपन सा होता है,
इंसान लड़ने झगड़ने और
खेलने कूदने रूठने मनाने के
यादगार पलों की याद में रोता है।
एक बहन के बिना सब
सूना सूना सा लगता है,
बहन न हो तो
सब कुछ होकर भी जैसे
कुछ अच्छा नहीं लगता है।
बहन संबल आत्मबल है,
सुख दुःख में तो बहन का 
बडा़ संबल होता है,
बहन पास हो तो 
दूर होने का मन करता है,
और दूर हो जाए तो
पास होने का बहुत मन करता है।
रक्षाबंधन भाई बहन के मध्य
मिलन का पुल होता है,
और विडंबना देखिए
सदियों सदियों से ये पुल
कभी जर्जर नहीं होता है।
क्योंकि रक्षाबंधन की छाँव में
भाई बहनों का स्नेह बँधन
इसे मज़बूत जो करता रहता है।

सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

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