ऐसा बन्धन रक्षा बन्धन - कविता - गणपत लाल उदय

यह धागों का है एक ऐसा बन्धन,
कहते है सब इसको रक्षा-बन्धन।
अटूट प्रेम बहन-भाई का उत्सव,
बहनें लगाती भाई तिलक-चंदन।।

इस पर्व की ऐसी अलग पहचान,
सावन मास में आए ये हर साल।
बहनें इस दिन फूले नही समाती,
सजाके लाती ख़ुशियों का थाल।।

इन कच्चे धागों का यह ऐसा पर्व,
बहन-भाईयों पर करते सब गर्व।
सुरक्षा का वचन देता है हर भाई,
जब बंध जाती राखी यह कलाई।।

घेवर व गुजिए घर बनाते मिठाई,
साथ बैठकर खाते बहनें व भाई।
राखी पर मिलते है सभी परिवार,
बुलाते है सब अपनें बेटी-जवाई।।

मनभावन राखी लाती सब बहन,
चाँद-सितारे सी चमके ये जहान।
राखी की लाज ये भईया निभाएँ,
बहनों को देता उपहार मूल्यवान।।

गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)

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