उम्मीद का दिया - कविता - ऋचा तिवारी

तुम्हारे आने की ख़ुशी कुछ यूँ,
मेरे चेहरे पर निखर आती है।
छुपी हुई लबो की मुस्कुराहट,
जाने क्यूँ सबको नज़र आती है।

वैसे तो छोटी छोटी बातों में हम,
तुमसे यूँ ही खफ़ा हो जाते हैं।
पर तुम्हारे जाने के बाद जाने क्यूँ,
हम ख़ुद से ही बेवफ़ा हो जाते है।

वो प्यारी रातो में तेरे कँधे में,
सर रख कर सोने का जो एहसास है।
वो मेरी ज़िंदगी में हुए,
कई ख़ूबसूरत लम्हों से भी ज़्यादा ख़ास है।

तुम साथ रहते हो तो ज़िंदगी की,
परेशानियाँ भी कुछ कम सी लगती है।
तुम्हारे जाने के बाद, ख़ुद की परछाई भी,
कुछ बदली बदली सी लगती है।

मेरे नाराज़ होने पर, तुम मुझे बार बार,
कुछ इस तरह मनाते हो।
कि उम्मीद का दिया बन कर,
तुम हर दम मेरे दिल में जल जाते हो।

ऋचा तिवारी - रायबरेली (उत्तर प्रदेश)

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