किया हूँ वफ़ा बे-इंतिहा मुहब्बत,
तस्वीर तेरे दिल में ख़ुद का बनाऊँ।
ख़ुद से लगाऊँ तेरे हाथ मेंहदी,
चन्द्रकला भाल सीथी माँग सजाऊँ।
तेरे दिली चमन में जीऊँ कशिश बन,
रुख़सार-ए-कयामत तुझको बनाऊँ।
ख़ूबसूरत नज़ाकत गुल्फां तरुन्नुम,
अहसास धड़कन दिल बागवाँ बनाऊँ।
हमदम ज़िगर बन आशियाँ-ए-मुहब्बत,
रुमानी ज़िंदगी दिल अस्मत बनाऊँ।
पीऊँ रसीली नशीली आँखें ग़ज़ब,
अरमान तरन्नुम गानें गुनगुनाऊँ।
नवगीत जीवन मनमीत-ए-मुहब्बत,
बन गुलशन चमन दिल तुझे मुस्कराऊँ।
लिखूँ इबादत वफ़ा-ए-जन्नत कयामत,
गढ़ क़सीदें प्यार ज़िंदगानी सजाऊँ।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली