आ जाओ तुम मेरी
बेजान सी ज़िंदगी में
कोई तो रंग भर दे,
खिल उठे चेहरा मेरा
कुछ तो ऐसा कर दे।
ना कोई आस
ना ही कोई पास
यूँ ही साथ चल दे,
लड़ सकूँ हर मुश्किल से
ऐसा कोई हल दे।
विरानो में भी हरियाली हो
कुछ तो ऐसा कर दे,
नफ़रते मिट जाए दिल से
ऐसी कोई मिठास भर दे।
जी सकूँ ज़िंदगी सारी
ऐसा कोई एक पल दे,
अरमान बना कर रख लू
साथ जो मेरे चल दे।
आरज़ू अभी बाक़ी है
इन्हें भी पुरा कर दे,
खिल उठे चेहरा मेरा
कुछ तो ऐसा कर दे।
आ जाओ तुम मेरी
बेजान सी ज़िंदगी में
कोई तो रंग भर दे,
आ जाओ तुम मेरी
बेजान सी ज़िंदगी में।
डॉ. मोहन लाल अरोड़ा - ऐलनाबाद, सिरसा (हरियाणा)