आओ प्रीतम मेरे नैना,
तेरा सुपथ निहारें,
कभी कभी अन्दर में झाँके
कभी देखते द्वारे।
आओ प्रीतम मेरे नैना
तेरा सुपथ निहारें...
फागुन बीता सावन आया,
सजना गेह न आए,
अब पड़ती बरसा की फुहार,
छाए घन कजरारे।
आओ प्रीतम मेरे नैना
तेरा सुपथ निहारें...
जब पानी टप टप रव बरसे
प्रेम के डोरे डारे,
आओ सजना मेरे तन की
अब तो प्यास बुझा रे।
आओ प्रीतम मेरे नैना
तेरा सुपथ निहारें...
मैं पागल तेरे वियोग में
दिन में दिखते तारे,
मन्मथ मुझको बहुत सताए
दिल के हाथों हारे।
आओ प्रीतम मेरे नैना
तेरा सुपथ निहारें...
लोक लाज वश कुछ ना बोली
बन्द हुए मग सारे,
तेरा विरह सताए मुझको
तुम जीते हम हारे।
आओ प्रीतम मेरे नैना
तेरा सुपथ निहारें...
तेरा सुपथ निहारें...
महेन्द्र सिंह राज - चन्दौली (उत्तर प्रदेश)