प्रिये, अब तुम आ जाओ - गीत - प्रवीन 'पथिक'

तड़प रहा हृदय ये मेरा, 
सूरत तो दिखला जाओ।
साँझ हो रही मन मधुबन में,
प्रिये, अब तुम आ जाओ।
कितने दिवस यूँ चले गए,
कितनी रातें हैं बीत गईं।
हमारे इस प्रेमयुद्ध में,
माना तुम्हारी जीत हुई।
भूलकर पिछली बातों को,
दिल से गले लगा जाओ।
साँझ हो रही मन मधुबन में,
प्रिये, अब तुम आ जाओ।
हृदय में उठता तूफ़ान,
मिलने की चाह बढ़ाती है।
स्मृति में तेरी भोली सूरत,
आँखें अश्रु भर लाती है।
तुझ बिन है जीवन सुना,
दिल को कोई आराम नही।
एक काम, तुझे याद करना,
इसके सिवा कोई काम नही।
सिंचित कर निज प्रेम-नीर से,
पुनः बगिया महका जाओ।
साँझ हो रही मन मधुबन में,
प्रिये, अब तुम आ जाओ।

प्रवीन 'पथिक' - बलिया (उत्तर प्रदेश)

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