ख़ता तो नहीं - ग़ज़ल - महेश "अनजाना"

अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
तक़ती : 212 212 212 212

तुम से मिल न पाया, ख़ता तो नहीं।
कर के वादा न आया, ख़ता तो नहीं।।

गुज़रे लम्हों को याद, कर शब रोज़,
वाक़या ये सुनाया, ख़ता तो नहीं।

दिल पे लगी चोट तो, हम क्या करें,
बस दवा ना कराया, ख़ता तो नहीं।

बहुत मिल जाएँगे चाहने वाले, 
बनूँ तेरा हम-साया, ख़ता तो नहीं।

तेरा मेरा मिलना, नहीं बख़्त में,
है आँखों में बसाया, ख़ता तो नहीं।

वो हरजाई निकली सनम क्या कहुँ,
चाह कर न भूल पाया, ख़ता तो नहीं।

बिछड़े तो क्या फ़िर मिल पाएँगे हम,
'अनजाना' सुख पाया, ख़ता तो नहीं।

महेश "अनजाना" - जमालपुर (बिहार)

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