फ़रमान करें तो - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार

अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेल फ़ऊलु
तक़ती : 22  22  21 121

आओ हम संधान करें तो।
सिर चढ़ता अभिमान करें तो।।

गर नायाब ग़ज़ल लिखना है,
रुक्न, बहर, अरकान करें तो।

पैसों की लालच में अँधे,
आप अगर हैवान करें तो।

नाच नचाते बंदर जैसा,
अफ़सर का फ़रमान करें तो।

ऐब भरे सरकारी कर्मी,
यदि उनका ईमान करें तो।

जो दुनिया से दूर रहा है,
ऐसा हम नादान करें तो।

अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)

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