भारतीय संस्कृति - आलेख - ओम प्रकाश श्रीवास्तव "ओम"

वास्तव में भारतीय संस्कृति सभी संस्कृतियों में से पुरातन है भारतीय संस्कृति सुसंस्कारों की खान है। यह ऐसी संस्कृति है जिसमें विभिन्न रंगों के सुगंधित पुष्प एक माला में पिरो दिए गए हो। भारतीय संस्कृति में वेद उपनिषद तथा अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथ पुरातन तथा भविष्य का दर्पण दिखाने में सक्षम है भारतीय संस्कृति सभी धर्मों में समभाव तथा मानवता ही प्रमुख है इसी आधार पर सदा से गतिशील रही है। भारतीय संस्कृति की महानता यहीं से दृष्टिगोचर होती है कि इसमें गुरु का स्थान गोविंद अर्थात ईश्वर से भी ऊपर माना गया है क्योंकि ज्ञान का पथ हमें गुरु ही दिखाता है।

भारतीय संस्कृति में खगोल विज्ञान, ज्योतिष विज्ञान, वेद शास्त्र, चिकित्सा विज्ञान तथा मानवीय मूल्यों का वृहद भंडार है।
आज हम लोग पाश्चात्य संस्कृति को देख रहे हैं अनुसरण कर रहे हैं और उसके दुष्परिणाम भी देख रहे हैं परंतु समझ नहीं रहे हैं। भारतीय संस्कृति में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना निहित है जिसके फलस्वरूप आपसी प्रेम और सौहार्द सदा ही पुष्पित पल्लवित रहता है। हम सभी साहित्यकारों को भी भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को अपनी रचनाओं में अधिक से अधिक परिलक्षित करना चाहिए जिससे कि पाठक के हृदय में भारतीय संस्कृति का सजीव चित्र उपस्थित हो जाए। हम सभी विभिन्न संस्कृतियों की अच्छाइयों को सदैव ग्रहण करें और अपनी भारतीय संस्कृति की अच्छाइयों को दूर-दूर तक फैलाने के लिए सदैव तत्पर रहें।

भारतीय संस्कृति में जीवन जीने के रहस्य जीवन संघर्ष के रहस्य एवं जीवन ख़ुशहाल बनाने के रहस्य समाहित हैं आवश्यकता है तो केवल भारतीय संस्कृति को हृदय से, दिल से, मन से अपने मस्तिष्क में, अपने जीवन में और अपने क्रियाकलापों में स्वीकार करना होगा।

ओम प्रकाश श्रीवास्तव "ओम" - कानपुर नगर (उत्तर प्रदेश)

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