बेबस ज़िन्दगी - गीत - प्रवीन "पथिक"

मूक हो के ज़िन्दगी, बहुत कुछ कह जाती है,
कभी देती ग़म तो, कभी खुशी दे जाती है।

नहीं है पता इसका, कहाँ है ठिकाना,
कहाँ इसको रुकना, कहाॅं इसको जाना?
पग-पग पर हमारा इम्तिहान ले जाती है!

मूक हो के ज़िन्दगी, बहुत कुछ कह जाती है,
कभी देती ग़म तो, कभी खुशी दे जाती है।

कहीं है बेचैनी, कहीं ग़म की रातें,
कहीं है खुशी औ भूली-बिसरी यादें।
बेवशी औ नशे में, कुछ भी कर जाती है।

मूक हो के ज़िन्दगी, बहुत कुछ कह जाती है,
कभी देती ग़म तो, कभी खुशी दे जाती है।

दो पल का साथ, न और कोई बात है,
आज है उजाला तो कल अँधेरी रात है।
बीते उन लम्हों का, याद दिला जाती है।

मूक हो के ज़िन्दगी, बहुत कुछ कह जाती है,
कभी देती ग़म तो, कभी खुशी दे जाती है।

प्रवीन "पथिक" - बलिया (उत्तर प्रदेश)

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