न हम रखेंगे - ग़ज़ल - मनजीत भोला

बेशक नहीं पसंद वो नफ़रत न हम रखेंगे।
बस प्यार की वफ़ा की चाहत न हम रखेंगे।।

ग़मगीन हैं फ़ज़ाएँ दहशत है खलबली है,
इस बेरहम हवा से क़ुरबत न हम रखेंगे।

होते रहे जो यूँ ही सब ख़ास दूर हमसे,
इक रोज़ ज़िन्दगी की हसरत न हम रखेंगे।

सुन ले मशाल वाले रह लेंगे तीरगी में,
तेरे उजालों से तो निस्बत न हम रखेंगे।

ऐ रहनुमा हमारे ली देख रहनुमाई,
तुझ पर कभी भरोसा हज़रत न हम रखेंगे।

लफ़्ज़ों में हम ढले हैं तुम देख लो किताबें,
अब और बोलने की ज़हमत न हम रखेंगे।

मनजीत भोला - कुरुक्षेत्र (हरियाणा)

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