बस प्रभु दे दो एक वरदान - कविता - कवि संत कुमार "सारथि"

बस प्रभु, दे दो एक वरदान,
मेरी दृष्टि में सुख दुःख हो, दोनों एक समान।
बस प्रभु...
सहज भाव जीवन जीने का दे दो मुझको ज्ञान,
जीवन पथ पर है बढ़ता जाऊँ छोड़ सकल अभिमान। 
बस प्रभु...
कभी किसी का बुरा नहीं हो दो हम को संज्ञान,
धर्म ध्यान करुणा अनुशीलन रहे सदा प्रतिमान।
बस प्रभु...
सदा चरण के पथ पर चलना है नर की पहचान,
रहे आलोकित जीवन उत्सव का दूर करो अज्ञान।
बस प्रभु दे दो...
सद्गुण सुंदर निर्मल वाणी कृपासिंधु भगवान,
मानवता का धर्म निभा कर बना रहा हूँ इंसान।
बस प्रभु दे दो...
अमन चैन खुशहाली हरदम रहे वतन की शान,
भाईचारा बढे निरंतर, हो मेरा देश महान।
बस प्रभु दे दो...
पर सेवा उपकार करूँ मैं करो सदा कल्याण,
शरण सारथि की विनती अब सुनिए कृपा निधान।
बस प्रभु दे दो एक वरदान
बस प्रभु दे दो एक वरदान।।

कवि संत कुमार "सारथि" - नवलगढ़ (राजस्थान)

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