पाती - गीत - सरिता श्रीवास्तव "श्री"

पाती संदेश दे गई, पी का पैगाम दे गई 
गोपियन को कृष्ण का पैगाम दे गई
राधा को वंशी मीरा को राग दे गई 
थपकी देकर पिता का सुलाना
डाँटना डपटना दुनिया दिखाना
विश्वास भरा लाड़ दे गई, पाती...
मैया के आँचल की प्यारी सी छाँव 
अंक में छुपाती वो न्यारी सी छाँव
संस्कारित दुलार दे गई, पाती...
भैया से लड़ना रूठना मनाना
मनुहार करना चिढ़ना चिढ़ाना
भीगा सा स्नेह दे गई, पाती...
प्यारी सी बहना जैसे हमसाया 
कभी रुलाया तो जी भर हँसाया
यादों की ताजगी नेह दे गई, पाती...
झील सा मन मयूर हो गया
राधा का तन बाँसुरी हो गया
पी आगमन “श्री" फुहार दे गई, पाती...
प्रीत का पैगाम दे गई दो दिलों का राज दे गई 
सुकूँ भरी याद दे गई प्रिय का संदेश दे गई।

सरिता श्रीवास्तव "श्री" - धौलपुर (राजस्थान)

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