मन जैसा नहीं है कोई
पल भर में जो बदले,
मन भावों का सागर है
सागर में जन डोले,
थोड़ा मनमौजी है मन
थोड़ा स्वार्थ भाव तन घोले,
मन जिनका है विश्वजीत
वो कनक भाव से बोले,
ये जीवन है भावों का
कवि भावों की भाषा बोले।
कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)