सियासत में जो आए हो तो इतना काम कर देना,
तुम अपनी ज़िन्दगी अपने वतन के नाम कर देना।
जुदा भाई को भाई से करे नफ़रत जो फैलाए,
तुम ऐसी साजिशें ए दोस्तों नाकाम कर देना।
तू दिन को रात कहले शौक से लेकिन कभी हमको,
न आया है न आएगा सुबह को शाम कर देना।
जो ज़ालिम है उसी पर तुम लगाओ तोहमतें लेकिन,
बुरा है हर किसी को मुफ़्त में बदनाम कर देना।
फक़त ज़ीशान क्या इस्लाम भी कहता है ए लोगों,
ग़रीबों के लिए ख़ुद को भी तुम नीलाम कर देना।
ज़ीशान इटावी - इटावा (उत्तर प्रदेश)