आईना ज़िंदगी का - कविता - सुनील माहेश्वरी

हौसला है तो यारो,
कुछ काम कर डालो,
अपना वक़्त ज़िंदगी में,
अपने नाम कर डालो।
छोड़ दो ये दुनिया
किसको क्या कहेगी,
यदि ये भी हम सोचेंगे,
तब दुनिया क्या सोचेगी।
कर के यक़ीन ख़ुद पर,
बढ़ते चलें हम प्रतिपल,
हर एक एक श्वास में,
उद्देश्य को जाग्रत किए।
स्वप्न करके साकार,
कुछ कर दिखाओ यारो,
ये वक़्त जो मिला है,
अवसर का लाभ उठा लो।
कठपुतली बन के इशारों पर,
नाचो ना लोगों के सामने तुम,
जो आईने दिखाए लोगों ने
उनको ज़लील करके तुम।
बढ़ चलो थामने,
ऊँचाइयों को कभी,
चौक जाएँगे देख,
चमत्कार फिर सभी।
लो फ़ैसला अडिग,
ख़ुद की करो पहचान
तू ज़िंदगी का मालिक है
इस बात को जरा मान।

सुनील माहेश्वरी - दिल्ली

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