वेदना - कविता - कवि संत कुमार "सारथि"

लब पर प्रेम सुधा संगीत,
राही गा आशा के गीत।

करो वेदना दिल से दूर,
जीवन में बरसेगा नूर।
आना जाना जग की रीत,
राही गा आशा के गीत।

स्वर मधुरिम सर्वत्र बिखेर,
समझो मित्र नहीं कोई बैर।
हँसते करो जीवन व्यतीत,
राही गा आशा के गीत।

हर पल करना मीठी बात,
यह जीवन की सुंदर सौगात।
प्रेम से लो सारा जग जीत,
राही गा आशा के गीत।

रखिए पावन सोच विचार,
प्राणी मात्र से करना प्यार।
सदाचार पावन पुनीत,
राही गा आशा के गीत।

करना हरदम पर उपकार,
हरि नाम जीवन आधार।
कभी नहीं होना भयभीत,
राही गा आशा के गीत।

कवि संत कुमार "सारथि" - नवलगढ़ (राजस्थान)

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