मिले बरक्कत जिंदगी, रहें सदा ख़ामोश।
नज़र रखें चारों तरफ़, रहें होश अरु जोश।।१।।
खामोशी कमजोरियाँ, बनें नहीं इन्सान।
सही राह बन हमसफ़र, पूरे हों अरमान।।२।।
बिन मिहनत की जिंदगी, कहँ इज्ज़त आवाम।
अदब साथ ईमानियत, खुशी अमन पैगाम।।३।।
ख़ामोशी है कुञ्जिका, सकल सिद्धि का योग।
साक्ष्य सभी साजीश की, करे अंत सब रोग।।४।।
कलह दूर नित मौन से, रक्षित मधु सम्बन्ध।
मिले मीत पा प्रीत जग, फैले कीर्ति सुगन्ध।।५।।
ख़ामोशी ब्रह्मास्त्र जग, करे मनुज निर्भीत।
काट सदा हर आपदा, मौन साध हर जीत।।६।।
नीतिवान जाने जगत, मति विवेक पहचान।
सब साधन में श्रेष्ठतर, खामोशी सम्मान।।७।।
मौन नहीं कमजोरियाँ, दबा राज ख़ामोश।
खुले अन्त सब राज जब, उड़े शत्रु का होश।।८।।
बहुत सहा आतंक को, क्षमा किया अपराध।
समझ पाक ख़ामोश को, महाशक्ति निर्बाध।।९।।
कवि निकुंज कवि भाव मन, भरा भाव आगोश।
समझ नहीं भारत वतन, कमजोरी ख़ामोश।।१०।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली