विनम्रता है सबसे बड़ी खूबसूरती - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला

जी हाँ यह बिल्कुल सत्य है कि विनम्रता का अर्थ ही यही है कि अहंकार से मुक्त होकर दूसरों को खुद के समान सम्मान देना।
विनम्रता एक ऐसा गुण है जिससे शांति फैलती है।
दुनिया में हर इंसान अगर विनम्र हो तो यह दुनिया कितनी खूबसूरत होगी। लोग एक दूसरे से ज्यादा मांग नहीं करेंगे, परिवार में झगड़े रगड़े कम होंगे, कंपनियों में आपस में ज्यादा मुकाबले नहीं होंगे और देशों के बीच युद्ध नहीं होंगे।
अगर दुनिया में विनम्र लोग ज्यादा हो जाए तो दुनिया स्वर्ग से भी बेहतर हो जाएगी।


विनम्रता कमजोरी नहीं बल्कि खूबसूरती होती है।
विनम्रता के कई आयाम हैं कई रूप हैं।
जैसे अहंकार न करना व अपनी कामयाबी, धन-दौलत और काबिलियत की शेखी ना मारना। अपनी सीमाओं के अंदर रहना भी विनम्रता की श्रेणी में ही आता है।
विनम्रता सबसे बड़ी सुंदरता है यह गुण पैदायशी नहीं होता इसे स्वयं में विकसित करना पड़ता है।


यदि हम विनम्र होंगे तो दूसरों के साथ हमारा रिश्ता अच्छा रहेगा, परिवार में भी अच्छा सामंजस्य बना रहेगा।
विनम्रता से मन को शांति मिलती है जो इंसान के तन और मन की तंदुरुस्ती के लिए परम आवश्यक है।
अगर शांति मिलती रहेगी तो जीवन सुखी रहेगा। अगर शांति रहेगी तो शरीर और मन स्वस्थ रहेगा। इसलिए विनम्र होना अत्यंत जरूरी है और फायदेमंद भी।


विनम्रता एक विस्मयकारी शब्द है। यह व्यक्तित्व की मिठास का कारक और सभ्य लोगों का सिद्धांत है। यह सफलता का मूल मंत्र भी है।
इसके अतिरिक्त यह बुद्धिमत्ता की पहचान भी है। व्यक्ति जितना बुद्धिमान होगा उतना ही अधिक अनुशासित व्यवहार करेगा।
विनम्रता व्यक्ति को शिष्ट बनाती है। वास्तव में विनम्रता खुद के लिए सम्मान अर्जित करने जैसा प्रभाव कारी गुण है।


विनम्रता एक भाव है और भाव का संबंध मन से होता है, जिस प्रकार सूखी मिट्टी पर जल डालकर गीली बना  कर उसे मनचाहा आकार दिया जा सकता है, ठीक उसी प्रकार कठोर से कठोर व्यक्ति से विनम्रता पूर्ण व्यवहार  से मनचाहा परिणाम प्राप्त किया जा सकता है।
विनम्रता वह मानवीय शक्ति है, जिसके द्वारा बुराई और भलाई सभी को आत्मसात करने की शक्ति मानव के पास आ जाती है। 
विनम्र व्यक्ति तो बुराई भी विनम्र भाव से ग्रहण करता है ।
किंतु आज के युग में कुछ लोग विनम्रता को कायरता समझते हैं, जबकि विनम्र होना बुद्धिमत्ता का परिचायक है।


समाज में प्रत्येक व्यक्ति सम्मान से जीना चाहता है ।
कोई कितना भी कठोर हो लेकिन उससे विनम्रता से बात की जाए तो विनम्र हो ही जाएगा।
विनम्रता झुकना कदापि नहीं सिखाती ,अपितु स्वाभिमान के साथ जीना सिखाती है। लेकिन विनम्रता भी तब तक उचित है जब तक दूसरे इसका सम्मान करें।
वैसे तो विनम्रता एक अचूक मानवीय शक्ति है।


सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)


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