मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग ११) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"

(११)
तिलका ने विद्रोह, किया क्यों हमें बताओ?
राजमहल भू छोह, कथा की सार सुनाओ।
पहाड़िया संथाल, दमन की राम कहानी।
फूट नीति संजाल, प्रथा कर की पहचानी।।

लेकर तीर कमान, दहाड़े तिलका कब थे?
'कर हों एक समान,' बोल लब खोले कब थे?
जन-जन को संदेश, क्षेत्र में किसने भेजी?
मन में शक्ति अशेष, लिए कारवाँ सहेजी।।

जन-आंदोलन छेड़, दिखाई अपनी ताकत।
बने पहाड़ी शेर, मचा दी भू पर आफ़त।।
क्विवलैंड को मार, गिराया किसने बोलो।
कब कौन गिरफ्तार, हुए हर गाथा खोलो।

याद करो करतार! आज वह दुर्दिन काला।
जान दिए जब वार, वीर तिलका मतवाला।
तिलका जय-जयकार, आज पुनः दोहराओ।
ममता करे गुहार, मिहिर! अथ कथा सुनाओ।।

डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी" - गिरिडीह (झारखण्ड)

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