एक रोग है कंगाली
भूख में दर्द बडा़ है
हर आग बुझे पानी से
पर पेट का आग बुरा है,
भूख सात दिन बासी
रोटी बस दो दिन पहले की
कौन है ज्यादा ताजा
सोच का फर्क जरा है।
पेट भरे ने फेकी
रसभरे वो सोलह व्यंजन
जिसकी पेट पीठ को छूता
उसको भोजन से जीवन,
जो दान दो रोटी करते
कितनी तस्वीर सजाते
किस किस को दिया है दाना
चिल्ला चिल्ला कर दिखाते।
बस चले तो ये तस्वीरें
चौराहों पर लगा दो
खाली पेट की ये तस्वीरें
इस दुनिया को दिखा दो,
पर है तन भी तुम्हारा
हाड़ मांस ही सुन लो
दिल छिप जायेगा आखिर
कितनी तस्वीरें चुन लो।।
सूर्य मणि दूबे "सूर्य" - गोण्डा (उत्तर प्रदेश)