जनमत समझो मंत्र - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

जनता से सत्ता बनी, जनता से गणतन्त्र।
जनता दे सत्तावनत, जनमत समझो मंत्र।।१।।

करो प्रगति जनता सदा, चिन्तन जन कल्याण।
निर्भय  सम्बल जब प्रजा, हो सत्ता का त्राण।।२।।

लोकतन्त्र होता सफल, हो समता अधिकार।
संविधान सम्मत चले, नीति प्रीति आधार।।३।।

अभिव्यक्ति स्वाधीनता, करे न देश विरोध।
सबसे ऊपर देश हित, बने नहीं अवरोध।।४।।

सृजन कुंज भारत बने, कुसमित गंध निकुंज।
जन विकास केवल सुरभि, नवभारत जयगुंज।।५।।

राष्ट्र भक्ति रग रग भरे, भावित मन सम्मान।
हरित भरित धरती वतन, बने राष्ट्र वरदान।।६।।

मातृशक्ति रक्षण वतन, हो सबला निर्भीत।
लज्जा श्रद्धा माँ सुता, हो बहना प्रिय मीत।।७।।

मिटे देश हर दीनता, मानव सोच विचार। 
शुष्क अधर मुस्कान भर, खुशियाँ मिले अपार।।८।।

परम वीर भारत बने, शौर्य चक्र अभिमान।
जीवन हो अर्पित वतन, मानस राष्ट्र विधान।।९।।

मुक्तामणि बन देश का, भारत माँ गलहार।
करो मान जनता वतन, दो विकास उपहार।।१०।।

रखो मान चौथा नयन, लोकतंत्र संचार।
सत्य न्याय अभिव्यक्ति हो, समरस नीति विचार।।११।।

रखो तिरंगा शान को, गर्व करो पुरुषार्थ।
जीओ पलभर जिंदगी, देशभक्ति परमार्थ।।१२।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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