हिन्दी हमारी शान - आलेख - सुनीता रानी राठौर

हिन्दी हिंदुस्तान की आन बान शान है। प्रतिष्ठा और सम्मान है। यह 18 भाषाओं को समग्रता में समेटती है। हमारी हिन्दी भाषा मधुर, मृदुल और सरल भाषा है। यह विश्व पटल पर दूसरे नंबर पर प्रचलित भाषा है।

हिंद और हिन्दी एक दूसरे के पूरक हैं। हिन्दी को जनमानस की भाषा भी कहा जाता है। यह भाषा हमारी संस्कृति को परिभाषित करती है। जिस तरह हमारा देश धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनकर अनेकता में एकता का मिसाल पेश करता है उसी तरह 18 प्रांतीय भाषाओं को समेटे हुए हिन्दी भाषा सभी को एक सूत्र में बांधती है।

हिन्दी भाषा को 14 सितंबर 1953 को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया। इसलिए 14 सितंबर को राष्ट्रपति के द्वारा दिल्ली के विज्ञान भवन में हिन्दी से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में श्रेष्ठता पूर्ण कार्य के लिए लोगों को सम्मानित भी किया जाता है।

हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और इस पर हम सभी को गर्व है। 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस और 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिन्दी दिवस के रूप में मनाते हैं।

12 देशों के लोगों में यह प्रचलित जन भाषा है। अब हमारी हिंदी भाषा वैश्विक स्तर पर भी प्रसिद्ध भाषा बनती जा रही है। हिंदी अब डिजिटल भाषा भी बन गई है। अपनी मृदुलता के कारण जनमानस की चहेती और सभी भाषाओं को एक सूत्र में बांधने वाली भाषा है। हिन्दी हमारी आन बान और शान है।

सुनीता रानी राठौर - ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos