श्री राम भी मैं श्री कृष्ण भी मैं - कविता - सुनीता रानी राठौर

तलाश कर न मुझे इस संसार में,
अगर तेरे दिल में न, तो कहीं न हूँ मैं।

राम, कृष्ण,कई नाम से संबोधित मैं
अनेकों नाम, भेष-भूषा धारक हूँ मैं।

हृदय के रग-रग में समावेशित मै,
अपरिभाषित विराट व्यक्तित्व हूँ मैं।

अविनाशी, अविकारी,अंतर्यामी मैं,
निर्विकार, असीम, सर्वव्यापी हूँ मैं।

मत बांध संकीर्णता की बेड़ियों में,
कण-कण में व्याप्त समाविष्ट हूँ मैं।

विराटता में मानवता का चेहरा मैं,
प्रेम सहृदयता मस्ती का आलम हूँ मैं।

राजा और रंक का समन्वय हृदय मैं।
अहं त्याग सारथी का परिचायक हूँ मैं।।

कौशल्या का राम यशोदा का कृष्ण मैं,
सभी प्राणी के दिल की धड़कन हूँ मैं।

अगोचर, अदृश्य और पथ प्रदर्शक मैं,
मन की आँखो से देख दृश्यमान हूँ मैं।

सुनीता रानी राठौर - ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos