दोस्ती - कविता - रवि शंकर साह

दोस्त हमारी शान है।
दोस्तो से ही  पहचान है।
दोस्त मात्र दोस्त नहीं हैं ।
खुदा का एक फरिश्ता हैं।

जिससे सबका रिश्ता है।
मुश्किल  हालात में जब,
जब कोई खोता आत्मबल है
तब दोस्त ही दोस्त का सम्बल है।

हिमालय सा अटल खड़ा होता हैं 
दोस्त के खातिर अड़ा रहता है।
हर रिश्ते से भी बड़ा ये नाता है।
रिश्ता ये अटूट कहलाता हैं।

दोस्त , एक मुठी चावल में ही
कृष्ण सुदामा का गुण गाता है।
हर रिश्ते में यह रिश्ता होता है।
जग का बहुत ही अनुठा नाता है।

रवि शंकर साह - बलसारा, देवघर (झारखंड)

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