मौसम ले रहा है अंगड़ाई - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन

कोई आया आहट हुई,
दिल पे मेरे दस्तक हुई!

मौसम ले रहा है  अंगड़ाई,
मिलने की फिर चाहत हुई!

खुद से अब डर लगता है,
तन्हाई से वहशत  हुई !

हिज्र की स्याह कोठरी में,
कैद इश्क़ की नर्तक हुई!

यादों की रिमझिम बारिश में
महबूबा की  हसरत  हुई !

तेरे आने की  आहट लेकर
हर मौसम की दस्तक हुई !!

मोहम्मद मुमताज़ हसन - रिकाबगंज, टिकारी, गया (बिहार)

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