कागज भिगो रहा हूँ।
आँखों से अपने अश्क का,
दरिया बहा रहा हूँ।।
होने ना पाए खारा,
सागर ए इस ज़िगर का।
आ जाओ मेंरे प्रियतम,
कब से बुला रहा हूँ।।
बिन तुम्हारे प्रियतम,
सागर ए सूखता है।
बड़वाअनल की अग्नि से,
दिन-रात जूझता है।।
आकर के कर दे बारिश,
तूँ प्यार की ऐ मौला।
फिर से लहर उठेंगी,
तूँ क्यों न बूझता है।।
बहता हुआ तूँ आजा,
तुझको समेंट लूँ मैं।
दिल से तुझे लगाके,
आँखों को सींच लूँ मैं।।
तुम बिन हुआ है पतझड़,
मौसम ए इस जहाँ का।
बरसा दे प्यार इतना,
इस जहाँ को सींच दूँ मैं।।
बजरंगी लाल - डीहपुर, दीदारगंज, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)