तुझे याद कर खुद को भुला दूँगा ।
भूल जाऊँगा की मैं गुलाम पंक्षी तेरे दिल की पिजरे का हूँ ,
फिकर नही , पिजरे को ब्रह्माण्ड समझकर जी लूँगा ।।
मैं अपना गम तेरी खुशी में छुपा लूँगा,
तेरी होठो की मुस्कान देख , अपनी आँखों का अश्क सूखा दूँगा।
तू पा लो मंजिल इसलिए तेरी राहों का पथ बन जाऊँगा ,
बेहिचक तू रखना पैर मेरे जिस्मों पे , तुझे मलाल न हो इसलिए आँखे बंद कर लूँगा ।।
मैं अपना गम तेरी खुशी में छुपा लूँगा,
तुम मुझे जब-जब ढूंढ़ोगी , मैं तुझे तब - तब मिलूँगा।
तुम मुझे मुझमें ढूंढोगी , मैं तुझे तुममें मिलूँगा ,
मैं तुझे तेरी रूह को अपने दिल में जगह दूँगा ।।
मैं अपना गम तेरी खुशी में छुपा लूँगा ,
तुझे याद कर खुद को भुला दूँगा ।।
शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)