आत्मनिरीक्षण आपकी आदतों से आपका परिचय कराता है - लेख - शेखर कुमार रंजन

आज के दौर में ज्यादा लोग बस यही सोचते रहते हैं कि मैंने किस प्रकार अपने बीते हुए समय का सही उपयोग नहीं कर पाया, काश मैंने अपने समय का सदुपयोग किया होता तो आज मेरा  वर्तमान स्थिति इससे बेहतर होता। बस यही सोच-सोच कर अपनी वर्तमान समय को भी नष्ट कर रहा होता है किन्तु वर्तमान स्थिति को देखते हुए मैं आपसे बस यह कहना चाहूंगा कि हम क्यों अक्सर बीते हुए उन कल के बारे में सोचते रहते हैं जो कभी बदला नहीं जा सकता आखिर हम भूल कैसे सकते हैं कि बीते हुए पल को हम बदल नहीं सकते हैं। उनसे सिर्फ सीख ली जा सकती हैं।

आज कुछ व्यक्ति सुधार तो चाहता है किन्तु समस्या यह है वह चाहता है कि यह सुधार दूसरों से शुरू हो। हमें खुद को सशक्त बनाने के लिए स्वयं के भीतर की शुद्धिकरण करने की आवश्यकता होती है। अभी की समस्याओं के बारे में यह पता ही नहीं चलता की इसकी सही समाधान क्या होगी?आजकल लोगों की वास्तविक समस्याएं कुछ और होती हैं और समाधान कहीं और ढूंढ़ने में लगे रहते हैं। किसी भी बीमारी की चिकित्सा के लिए यह जरूरी होता हैं कि चिकित्सक बीमारी की सही से पहचान करें। इसके लिए यह जरूरी है कि मरीज सही समस्या बताएं। मरीज सही समस्या तब ही बता सकता हैं जब वह स्वयं का गहराई से निरीक्षण करेगा। जीवन में आपके साथ क्या सही और क्या गलत हो रहा होता है यह आपसे ज्यादा कोई नहीं जान सकता है। आप अपनी क्षमताओं और खूबियों का कितना उपयोग कर रहे हैं तथा आप अपने कार्यों में कितना समर्पित हैं यह भी आपसे ज्यादा कोई नहीं जान सकता हैं। अतः आत्मनिरीक्षण की सौ फीसदी जिम्मेवारी आपकी स्वयं की होती हैं। हमें सदैव आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता होती हैं। आत्मनिरीक्षण आपकी आदतों से आपकी परिचय कराता है।

आप किसी भी कार्य को करने में बहानेबाजी एवं टालमटोल करते रहते हैं साथ ही आप अनावश्यक रूप से बहुत ही सारे वक़्त बर्बाद कर देते हैं। अपनी आदतों पर गौर करने के बाद आपको आगे के आयामों में उन्हें सुधारने का अवसर मिलता हैं। यदि आप बचपन में एकदम भोले-भाले थे और आज आपमें बहुत सारी बुराइयाँ आ गई है, तो चिंता मत करें। जरा सोचियें आज भी आप की सोच आपकी ही है आपका हुनर एवं मेहनत आज भी आपके पास ही है। एक बार फिर जिंदगी की चुनाव अपने हाथों में ले लीजिए और इस बार वह सोचिये जो आप पाना चाहते हैं। आत्मनिरीक्षण आपको आपके जीवन की वर्तमान स्थिति से वाकिफ़ करता है।यदि आपने कोई लक्ष्य नहीं तय किया है, तो सबसे पहले लक्ष्य तय कीजिए। सिर्फ इच्छा रखने से कुछ नहीं होगा।आपका एक ठोस लक्ष्य होना चाहिए। आप तुरंत तय करें कि आप जीवन से क्या पाना चाहते हैं। हमें अपना समय बिलकुल भी व्यर्थ नहीं करना चाहिए। यदि हम अपना समय गलत जगहों पर व्यर्थ नहीं करते हैं तो इससे हमारी सारी ऊर्जा सही दिशा में केंद्रित हो जायेगी। हमें अपने लक्ष्य के दिशा वाले लोगों के संग दोस्ती करनी चाहिए। हमें हीनता, कमजोरी, बहाने, निराशा, हताशा, सीमाएँ आदि पैदा करने वालें विचारों को पोषण देना बंद करना होगा। जब भी आपको ऐसे कमजोर विचार घेरे आपकों उन्हें झटक कर निकाल फेंकना हैं और आप इतना करने में सफल हो जाते हैं तो आपको कामयाबी जरूर मिलेगी।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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