नित खुशियों के रंग भरें हम,
दीन हीन जहाँ सुनसान हो।
चन्द्र बनें दें शीतल छाया,
सुखद अरुणिम नव मुस्कान हो।
चीर गेह बिन नभ तल जीवन,
बंजारा जीवन सुख शान हो।
देह वसन आवास व्यवस्था,
शिक्षित संस्कार सम्मान हो।
खुशियों का सोपान बनें हम,
मिटे भूख प्यास अभिलाष हो।
दलित पीड़ित अधिकार दिला हम,
भौतिक सुख शान्ति आभास हो।
माँ चरणों में रंग भरें हम,
बन सपूत कोख सम्मान हों।
तन मन धन नित करें नमन हम,
ममतामयी माँ भगवान हो।
कुलदीपक शुभकीर्ति फलक हम,
बनूँ पिता मान सम्मान हो।
सेवा जीवन पिता चरण हम,
गगन तुल्य पूत वरदान हो।
गुरु चरणों में नमन करें हम
जिससे विद्या धन विज्ञान हो।
करें नमन प्रभु हरि चरणों में,
भक्ति प्रेम रंग आभार हो।
इन्द्रधनुष सम रंग भरें हम,
जो भारत ललाट गुलाल हो।
सीमा रक्षक बन बलि दें हम,
राष्ट्र आन बान सम्मान हो।
नयी प्रगति रंगों से भर दें,
शान्ति सुखद राष्ट्र कल्याण हो।
महाशक्ति भारत सेवक हम
खुशियों का भारत हम ज़ान हों।
भरें अभय विश्वास रंग हम,
सबल नार्यशक्ति सम्मान हो।
दुश्मन खल दुष्कर्म हरें हम,
भारत समरसता वरदान हो।
शान्ति दया उपकार सजाएँ,
निर्भेद रंग पिचकारी हो।
मिल राष्ट्र प्रेम रंगोली खेलें,
सद्भाव वतन नित होली हो।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली