दिल के जज़्बातों के संग है होती शरीक मेरी कलम
जब भी हुआ अकेला अशांत 'अतुल' मैं
मेरा साथ दिया हमेशा मेरी कलम ने
दुनिया छोड़ भले ही जाए
मेरा साथ न छोड़ती मेरी कलम
अन्तकरण की गूँज सुनकर ही
खुद-ब-खुद हाथों में चली आती मेरी कलम
हैरान हूँ मेरे अनकहे अनबूझे अनगिनत एहसासों को
सहजता से शब्दों में उकेरती जाती मेरी कलम
कह न पाते जो अल्फ़ाज़ हम
उनको कहने से न झिझकती मेरी कलम
मेरे सुख-दुख के हज़ार नग़मों को
कागज़ पर उकेरती मेरी कलम
मैं खुद को उतना समझ न पाया
जितना समझती मुझे मेरी कलम
अतुल पाठक - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)