पीकर जल जाए शौच को,स्वच्छ करें निज गात।।
जहां न हो मान-सम्मान, और आदर सत्कार।
'विकल' वहां न जाइऐ, हो भल धन - बौछार।।
जहं शिक्षा के साधन नहिं,ना गुरुकुल और स्कूल।
सत्संग संवाद न करि सको, बसौ न जाए के भूल।।
तजि स्थान, गेह, वह देश, न कोई रोजगार ।
बिनु प्रयास ना चालई, कोई भी व्यापार।।
जिस जगह गुणी-पड़ोसी, ना भल-मानस रहें।
प्रभु का गुणगान न होय, रामचरित न मन से कहें।।
जहां सीख मिले ना कोइ, मित्रों वहां न जाइए।
अपना ज्ञान गमाइ के, मन में सुख ना पाइए।।
तजि वह स्थान शीघ्र ही, जहं कुत्सित समुदाय।
दे समाज को कुछ सको, हो भल थोड़ी आय।।
दिनेश कुमार मिश्र "विकल" - अमृतपुर , एटा (उ०प्र०)