शराब के रास्ते राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास घातक - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला


लॉक डाउन के दरमियान शराब की दुकाने राहत के बदले आफत बनकर टूटेंगी इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती। सोचिए अगर शराब की दुकानों पर कोरोनावायरस की मौजूदगी रही तो यह किस कदर लोगों में फैल जायेगा ।
शराब की दुकानों पर स्टाक करने के लिए उमड़ी भीड़ भारत को अमेरिका बनाकर छोड़ेगी । शराब प्रेमियों की भीड़ ने कोरोना वायरस के मुख्य हथियार सोशल डिस्टेंसिंग को तहस-नहस कर डाला है। कोरोना से जंग के प्रयासों को ठेंगा दिखाती और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाती भीड़ ने कोरोना संक्रमण के मामले पहले के अपेक्षा और ज्यादा होने की आशंका बढ़ा दी है।
अगर ऐसा हुआ तो कोरोना फैलाने में तबलीगी जमात के बाद शराबियों की भूमिका भी कमतर नहीं आंकी जाएगी।
इसका बड़ा खामियाजा शराब न पीने वालों को भुगतना पड़ सकता है। इस प्रकार कोरोना संकट से निपटने के प्रयासों पर पलीता लग जाएगा।

इस समय कोविड-19 से होने वाली मौतों के मामले सोमवार को 1390 हो गए ,संक्रमित  आंकड़े 43000 के पार पहुंच गए हैं। लॉक डाउन  शुरू होते ही शराब के ठेकों को खोलने की इजाजत दी गई ,लेकिन शराब की दुकान खोलने का फैसला सिरदर्द बन जाना पक्का है। शराब के शौकीनों ने सोशल डिस्टेंस  की सारी लक्ष्मण रेखाओं को तोड़ डाला है । नतीजा यह है कि शराब के ठेकों के आगे लंबी कतारें लगी हैं ।

कवि कुमार निर्दोष ने भी अपने ट्विटर पर  मेराज फैजाबादी का शेर पोस्ट किया है  कि "किसने कितनी  पी खुदा जाने मगर मैकदा तो मेरी बस्ती के घर पी गया"
लोगों के घर में खाने को पैसा नहीं है मगर शराब की दुकानों पर उमड़ी भीड़ को देखकर तो नहीं लगता कि खाने को पैसा नहीं है। शराब की दुकानों पर कोई बोरी तो कोई  बैग भरने पहुंच रहा है, जिसमें फिजिकल डिस्टेंस  तो कतई नही दिख रहा ,लोग स्टाक करने के लिए खरीद रहे हैं। गाइडलाइन के मुताबिक एक बार में केवल 5 लोग ही दुकान पर खड़े हो सकते हैं । इसके साथ ही 6 फुट की दूरी का पालन करना अनिवार्य होगा । मगर भीड़ तो ऐसी जिस पर काबू कर पाना  नामुमकिन है। ऐसे में कोरोना का खतरा कितना बढ़ेगा यह अंदाज  लगाया जा सकता है ।इन लोगों ने सरकार के एडवाइजरी  तार-तार कर दी है । पुलिस को कंट्रोल करना पड़ रहा है। मगर क्या करें अब तो पुलिस की मजबूरी है वह शहर की व्यवस्था संभाले , कोरोना से निपटे और शराब की व्यवस्था सम्हाले । आगे अगर ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब भारत इटली और अमेरिका से बढ़कर बर्बादी की कगार में खड़ा होगा ।


सुषमा दिक्षित शुक्ला

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos