यदुनंदन ऋषिकेश प्रभु , बसे यमुन के तीर।
राधा दौड़़ी गल मिली , भरी आँख में नीर।।१।।
भव्य मनोहर रूपसी , नीर भरी लखि नैन ।
कमलनैन मुरली बजे , मिली राधिका चैन।।२।।
राधे राधे मम प्रिये , माधव भाव विभोर।
मैं कान्हा तेरा प्रिये , करो नहीं मन घोर।।३।।
उषाकाल तुम अरुणिमा , राधे तुम मुस्कान।
राधे बिन गोविन्द कहँ , मुरलीधर जग मान।।४।।
कवि निकुंज मन प्रेमरत,भक्ति सरसि सुखधाम।।
नंदलाल प्रिय राधिका,सफल जन्म अभिराम।५।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नयी दिल्ली