था मन अशान्ति तज गेह को,निकल पड़ा सिद्धार्थ।
बोधवृक्ष नीचे मिला , सत्य शान्ति परमार्थ।।१।।
दया धर्म करुणा हृदय , सदाचार तप स्नेह।
पथिक अहिंसा बुद्ध सत्य , मुक्ति सुखी जग धेय।।२।।
शान्तिदूत सादर नमन , मानवता प्रतिमान।
बुद्ध पूर्णिमा पुण्य तिथि , नमन बुद्ध भगवान।।३।।
स्वारथ में मानव विकल , किया प्रकृति से द्रोह।
हिंसा छल मिथ्या प्रकृति, बुद्ध मार्ग अवरोह।।४।।
लिया जन्म संसार में , बस मानव कल्याण।
बुद्ध दशम अवतार हरि , किया जगत का त्राण।।५।।
पुण्य दिवस निर्वाण का , ब्रह्म ज्ञान प्रभु बुद्ध।
त्रिविध पाप संताप से , सत्य ज्ञान मन शुद्ध।।६।।
रोग शोक भव मोह जग , लोभ द्वेष छल राग।
दिया मंत्र प्रभु मुक्ति का , शान्ति चित्त अनुराग।।७।।
शील त्याग गुण कर्म ही , साधन हित संसार।
नीति रीति सच प्रीति पथ , बुद्ध ज्ञान उपहार।।८।।
नश्वर तन धन लोक में , अमर गीत उपकार।
बोध ज्ञान गौतम गया , शुद्ध हृदय आचार।।९।।
हर अन्धकार अज्ञान का , ज्योतिर्मय कर लोक।
चले तथागत कर्म पथ , सारनाथ हर शोक।।१०।।
शरणागत करता नमन , विनती यही निकुंज।
खिले चमन जग शान्ति का , मानवता अलिगुंज।।११।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नव दिल्ली