जाड़ों की गुनगुनी धूप जैसा ,
इस बेगानी सी दुनियां में ,
तुम्हारा वो अपनापन ।
इस बेगानी सी दुनियां में ,
तुम्हारा वो अपनापन ।
यादों के गलीचे पर खड़े होकर ,
तुम्हारा रूठना मुस्कुराना ।
तुम्हें बस महसूस करना ,
तुम्हें बस महसूस करना ,
सुनो! अब यही सुकून है मेरा ।
हमारे हर तरफ है जो ये ,
तुम्हारे प्यार का अनन्त पहरा ।
हमारे हर तरफ है जो ये ,
तुम्हारे प्यार का अनन्त पहरा ।
फिर किसी रोज लिखनी है,
अब एक अपनी कहानी ,
जिसके तुम राजा मैं रानी ।
अब एक अपनी कहानी ,
जिसके तुम राजा मैं रानी ।
जीवन मरण के फेर से दूर ,
उस कोरे अनन्त क्षितिज पर ,
तुमसे मिलना होगा अब मुझे ,
कभी भी जुदा न होने के लिए ,
उस कोरे अनन्त क्षितिज पर ,
तुमसे मिलना होगा अब मुझे ,
कभी भी जुदा न होने के लिए ,
फिर सदियों तलक
याद रखी जायेगी,
एक खूबसूरत कहानी ,
जिसके तुम राजा मैं रानी ।
याद रखी जायेगी,
एक खूबसूरत कहानी ,
जिसके तुम राजा मैं रानी ।
सुषमा दीक्षित शुक्लाराजाजीपुरम लखनऊ (उ०प्र०)