भोला आदमी - कविता - आनन्द कुमार "आनन्दम्"


आदमी तू बड़ा भोला है
बात बोले बड़बोला है
अच्छाई-बुड़ाई में भेद न जाने
आदमी तू बड़ा भोला है.

न जाने तू सच्चाई
बस कहे उसकी सुनायी
गफलत में पड़ता जाता है
आदमी तू बड़ा भोला है.

नियम की धज्जी उड़ती सरेआम
माँ-बेटियाँ बदनाम होती सरेआम
फिर भी लड़ता ये नाकाम
शायद कभी तो सुने ये हैवान
आदमी तू बड़ा भोला है.

आनन्द कुमार "आनन्दम्"
कुशहर शिवहर बिहार

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