वक्त के साथ बदल जाए, हम ऐसे इंसान नहीं हैं - कविता - चीनू गिरी गोस्वमी


वक्त के साथ बदल जाए, हम ऐसे इंसान नहीं हैं। 
दौलत देख फिसलें, इतना सस्ता मेरा ईमान नहीं हैं।
खरीदने को प्यार के दो मीठे बोलो से खरीद लो 
दौलत से सौदा कर सकें ऐसा कोई धनवान नही है
शौक पाल रखा है हमनें दर्द ए दिल लिखने का
बैसे स्वभाव से हसमुँख है जिंदगी से परेशान नही है
हमे पहले ही मालूम था तुम वफा कर नही सकते
तुम्हारें बदलते तेवर देख कर हम हैरान नही हैं।
बेखबर होकर भी हमे सब की खबर रहती हैं।
अपनी मस्ती मे जरुर है मगर हम अंजान नहीं हैं।
महकता है मेरा घर प्यार,मोहब्बत की खुशबू से ,
और कहने को हमारे घर मे एक फूलदान नही हैं। 
खुब उन्नती की इंसान ने चांद तक चला गया 
जान सकें मन की ऐसा हमारा विज्ञान नही हैं।
मतलबी इंसान छुपा बैठा है हर किसी के अन्दर 
मतलब को नेकियां करते कोई मेहरबान नही है
तन्हा औरत को मास का टुकड़ा समझते है जो 
वो लोग हैवान है मेरी नजर मे इंसान नही है 
आया है तू किसी मकसद से इस जमीन पर
शरीर को घर समझ रहा है ये तेरा मकान नहीं हैं। 
रब के सिवा झुकते  नही हम किसी के भी आगे
झुका सके चीनू को ऐसा कोई इंसान नही हैं।


चीनू गिरी गोस्वमी
देहरादून उतराखण्ड

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